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Showing posts from July, 2018

बस खुद को आज़ाद कर लूं

कैसे समझाऊं मैं खुद को, उसकी मासूमियत का फ़ायदा उठाया है मैंने बेइंतहा रुलाया है मैंने तुझको हर बार sorry बोल कर मैं आजमाता और फिर तुझे रुला कर चला जाता, सोचता था कि समझती हो तुम मु...

अब तुम्हे भी समझाना पड़ेगा ।।

मेरा और उसका रिश्ता औरों से कुछ अलग है” सड़क पार करते वक्त मैं उसका हाँथ तो नही थामता हूँ, लेकिन खुद से ज्यादा परवाह करता हूँ मैं उसकी.. सर्दी होने पर जब वो छीकती है तो उसकी पीठ ...

तुम्हारा जवाब- तुम अक्सर पूछती थी की मैं क्या हूँ , तो सुनो

हां, मैं थोड़ा झूठा सा हूं… क्योंकि अन्दर से टूटकर भी, चेहरे पर मुस्कुराहट रखता हूं..लाखों सवाल होकर भी, चुपचाप सबकी सुनता रहता हूं…अपने अधूरे लम्हों को पूरा करने की कोशिश म...