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एक ख्वाहिश जो अधूरी रह गयी.....☹️☹️☹️☹️




एक तुम्हे पाने की ख्वाहिस पूरी नहीं हुयी,

लाख चाहा तो भी दुरी ना हुयी,

तुम्हारा छोड़ जाना भी लाज़मी था 

क्योकि मोह्हबत में सब गवारा था, 

बस हमसे जी हुजूरी नहीं हुयी |


हर रोज रुलाती है इस लड़की में अक्ल नहीं है 

मोह्हबत हो ही गयी है तो इसका कोई हल नहीं है

कहती हैं कि 365 घूमते हैं मेरे आगे पीछे 

अब कौन समझाए उन्हें कि इतनी खूबसूरत उनकी शक्ल भी नहीं है


कहती है कि फरेब वाले काम मैंने किये नहीं 

ये कहते वक़्त तुम जरा भी डरी नहीं

तुम्हारे बिन जी नहीं सकती, ये कहती थी तुम,

हिज्र को अरसा हो गया, सुना है तुम अब तक मरी नहीं 


एक नया मोड़ हम दोनों की कहानी में है 

हम दोनों के मिज़ाज़ बड़ी रवानी में हैं

चलो तुम सही मैं गलत, ये बात यही पर ख़त्म करते है,

वो तो वक़्त बताऐगा कि कौन कितने पानी में है


आपसी गुफ्तगू को मोह्हल्ले में सजी अदालत बता रही हो

तुम पढ़ी लिखी हो मोह्हबत में वकालत बता रही हो

बात करती हो जिंदगी भर साथ देने कि,

तुम तो दो कदम साथ चलने को जलालत बता रही हो


मेरी सुनने और अपनी सुनाने से क्या होगा

अब बेगुनाही के सबूत दिखाने से क्या होगा

हिज़्र का फैसला लिया था तुमने गुरुर में आकर

अब गवाह अपने मुहल्ले के बुलाने से क्या होगा


तुम्हारी तरह मै भी रिश्ते में दीवार ले आता

इस कहानी में फिर एक नया किरदार ले आता 

तुम्हारे जाने से ये फुल सिर्फ मुरझाया है टुटा नहीं है

चाहता तो फिर से बगीचे में बहार ले आता

अगर मेरी फितरत तुम्हारे तरह होती ना मेरी खिसियानी बिल्ली 

तो सच मानो मैं जिंदगी में तुम्हारे जैसी हज़ार ले आता


तुम्हारे बाद किसी का ख्याल नहीं किया,

दर्द सहा है पर किसी पे जलाल नहीं किया,

और शक की बुनियाद पर लोग क्या क्या नहीं करते, 

तुमने हर social plateform पे id बना रखा है, मुझे block कर के,

मै जानता सब था पर मैंने कभी सवाल नहीं किया  |


हिज्र के फैसले में मेरी बात कट गयी,

ज़िंदगी उसकी यादों के साथ कट गयी |

फ़ोन आएगा इस उम्मीद पर मै सोया नहीं ,

चलो इसी बहाने फिर एक रात कट गयी ....

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