सही कहा है किसी ने जिसे जितना चाहो उससे नफरत भी मोह्हबत से कही ज्यादा होती है, मैं खुश था खुद को संभाल लिया था , हर situation में खुद को ढाल चूका था |
भूल चूका था उसे जिसकी वजह से मैं बर्बाद हुआ था जिसे मेरी थोड़ी सी भी कदर ना था जिसे मैं बेमतलब का ही मोह्हबत सीखा रहा था , जिसे मोह्हबत में खुदा बना रहा था, जिसे हर पल सही साबित करने के लिए खुद को गलत साबित कर लेता था ,भूल चूका था उसे मैं, निकाल चूका था उसे अपनी जिंदगी की किताब से ,और शायद बहुत खुश भी रहने लगा था , पर कहते है न कोई ख़ुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकती लोगो की नज़र लग जाती है , और मुझे नज़र फिर से उसी ने लगाया जिसने मेरा सब कुछ छीन लिया था, मेरी ख़ुशी ज्यादा दिन तक नहीं रही,
वो लौट आयी अपने मोह्हबत की दुहाई लेकर 6 महीने बाद उसे याद आया की मैं उसका प्यार था और वो मेरे बिना नहीं रह सकती ,6 महीने बाद उसे realize हुआ की उसे मुझसे प्यार था बहुत ज्यादा प्यार था | वो आयी फिर से पुरानी बाते याद दिलाने , मुझे फिर से रुलाने, मेरी हसी मुझसे छीनने ,बहुत रोइ वो हर चीज़ याद दिलाई , और सच मानो तो एक पल के लिए मैं बहक गया था तैयार था सब कुछ भूलने को, तैयार था 6 महीने के उन आंसुओ को भूलने के लिए जो मैंने बंद कमरे में बहाएं थे , मैं उसकी बातों में फिर से आ रहा था मानो साडी गलती मेरी ही थी मैं उसे छोड़ रहा था उस time मैं तो खुद को गलत समझने लगा था , मैं बदलने लगा था मैं उसे फिर से नहीं जाने देता सच मानो तो मैंने भी सोच लिया था की अब आगे क्या करना है , कैसे सबको फिर से मानना है कैसे हर situation को संभालना है, कैसे उसे अपना बनाना है , फिर से मैं सपने बुनने लगा था वो 2 दिन मानो मैं फिर से जी रहा था मैं कोई ख्वाब देख रहा था मैं फिर से उससे मोह्हबत कर रहा था |
पर ये मेरा भ्रम ज्यादा दिन तक मुझे खुश ना रख पाया , वो आयी तो थी पर हमेशा के लिए नहीं , बस मुझे परेशान करने के लिए, मुझे तो खुद पर हसी आती है अब कि क्या कोई लड़की ऐसी भी हो सकती है क्या कोई इतनी हद तक गिर सकता है क्या, महीनो बाद वापस आना फिर ये कहना की मैं मजबूर थी, बात नहीं कर सकती थी पर याद हमेशा किया, बहुत रोइ तुम्हारी याद में , ये बकवास कोई कैसे कर सकता है | वो इतनी गिर सकती है मैंने कभी सोचा नहीं था , मेरी मोह्हबत इतनी घटिया हो सकती है ये मैंने कभी न सोचा था , जो लड़की अभी 3 दिन पहले ये कहकर रो रही थी कि मुझे वापस आना है मैं मर जाउंगी उसकी मोह्हबत सिर्फ 2 दिन तक रही , फिर लगा जैसे कुछ हुआ ही नहीं वो खुश है फिर से किसी और के साथ, भूल गयी वो सब कुछ , भूल गयी वो प्यार मोह्हबत जिसके लिए वो खूब रो रही थी , मुझसे रो रो कर फ़रियाद कर रही थी मेरे साथ रहने के लिए , वो अब खुश है किसी और के साथ,
कसम से कहूं तो ऐसी घटिया मोह्हबत मुझे ही क्यों मिली बस यही सोचता रहता हूँ और दुआ करता हूँ ऐ खुदा कभी किसी कि मोह्हबत इतनी बेशरम ना हो , जो मोह्हबत को ही बदनाम कर दे ..
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