आ मगर इस कदर करीब ना आओ
कि तेरे जाने के बाद जीना मुहाल हो जाये,
सोचता रहूं हर पल तुम्हे मैं,
साथ रहना तुम्हारा , मेरे लिए कोई सवाल ना बन जाये ।
माना किस्मत खुदा ने लिखा है,
मगर किस्मत को बनाना, हमने भी कुछ सीखा है,
दूर रहकर भी तुम , इतनी नजदीक जो हो,
क्या कहूँ मैं इसे, अब तुम ही कुछ कहो,
तुम्हे भी गर मोह्हबत है ,तो बयां करो,
सोचते ही सोचते कहीं, दिन महीना और साल ना हो जाये,
आ मगर इस कदर करीब ना आओ
कि तेरे जाने के बाद जीना मुहाल हो जाये,
चलो माना कि, तुमने कुछ नही सोचा,
शायद प्यार मेरा, तुमने अब तक नही देखा,
पर किसी को इतना तड़पाया जाये,
क्या किसी के साथ तुमने, वफ़ा करना नही सीखा,
बोल दो ना कि, तुम्हे भी मुझसे मोह्हबत है,
मैं नही चाहता कि , ये प्यार मेरा सिर्फ एक ख्याल बन जाये,
आ मगर इस कदर करीब ना आओ
कि तेरे जाने के बाद जीना मुहाल हो जाये,
Comments
Post a Comment