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अब तुम्हे भी समझाना पड़ेगा ।।

मेरा और उसका रिश्ता औरों से कुछ अलग है”

सड़क पार करते वक्त मैं उसका हाँथ तो नही थामता हूँ,

लेकिन खुद से ज्यादा परवाह करता हूँ मैं उसकी..

सर्दी होने पर जब वो छीकती है तो उसकी पीठ पर थपकियां
तो नही देता हूँ,

लेकिन पल भर के लिए मेरी धड़कने भी थम जरूर जाती है..

जब कभी दुखी होती है वो तो उसका दुख अचानक खत्म तो
नही कर सकता हूँ,

लेकिन उसे सीने से लगाकर उसका दुख जरूर बाँटना चाहता हूँ..

उसके रुठ जाने से नहीं डरता हूँ,

लेकिन उसे खोने से डरता हूँ..

क्योंकि रूठने पर मनाया तो जा सकता है

लेकिन किसी को खो के वापस पाना सबकी किस्मत में नही
होता है..

मैं बहुत प्यार करता हूँ उससे और उसे ये बात पता है,

पर हर किसी को ये समझाना जरूरी नही समझता हूँ..

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