Skip to main content

बस खुद को आज़ाद कर लूं

कैसे समझाऊं मैं खुद को,
उसकी मासूमियत का फ़ायदा उठाया है मैंने
बेइंतहा रुलाया है मैंने तुझको
हर बार sorry बोल कर मैं आजमाता
और फिर तुझे रुला कर चला जाता, सोचता था कि समझती हो तुम मुझको लेकिन, अब मैं समझ गया कि मैं ही नही समझ सका तुमको,

न जाने कितने सपने दिखाये मैंने, पर एक भी पूरा ना कर पाया,
लेकिन कभी शिक़ायत नही किया तूने,
तेरी वो मासूमियत आज मुझे बहुत रुलाती है, जब भी मुझे तेरी याद आती है ।

काश वो दिन ना आया होता, जिस दिन मैं तुमसे मिला था, न इतना सब कुछ हुआ होता ना आज मैं यहाँ बैठ के तुम्हारी यादो को पन्ने पे लिख रहा होता,
कैसे बयां करू मैं तेरी हर वो बात , जो ख़तम होती थी तेरी हर एक मासूम हरकत के साथ, नहीं भूल सकता मैं तुझको क्योंकि
मेरी जिंदगी हसीं हुयी थी , और अब बर्बाद हुई है तो उसकी वजह सिर्फ एक है वो हो तुम,
हो सके तो मुझे माफ़ कर देना, मैं जानता हूं कि मैं तुम्हारे माफ़ी के लायक तो नहीं, शायद अब तुम्हारी मोह्हबत के काबिल नहीं,
इस जनम में मैं तो अच्छा नही बन पाया सिर्फ आंसू और दर्द यही दिया है मैंने तुझे, पर वादा है अगले जनम में तू जहां भी रहे तुझे मैं धुंध लुंगा और अपनी गलती की माफ़ी भी मांग लूंगा,फिर चाहे तुम मुझे सज़ा देने या मोह्हबत फैसला तुम्हारा होगा,
पर इतना याद रखना इस बार तो मैं जा रहा हु पर अगले जन्म में कभी नही छोड़ के जाऊंगा,

..
घुटन सी लगती है ये ज़िन्दगी अब जिसमे तेरा साथ नहीं है , कोशिश बहुत की पीछा छोड़ाने की तेरी यादो से , पर अब मुझमे हिम्मत नहीं है, अब कुछ और मैं तुझसे नहीं बोल सकता ।।
अब तो बस यही दुआ रहती है कि तू अपनी जिंदगी जीये मेरे बिना और मैं अपनी आँखे हमेशा के लिए बंद कर लूं, चैन की नींद सो जाऊँ उस क़ब्र में जहाँ फिर कोई ना आता जाता हो,

बस खुद को आज़ाद कर लूं ।।

Comments

Popular posts from this blog

उसकी मजबूरी रही होगी ....

  तेरे आगोश में दम तोड़ गई कितनी हसरतें,  फिर किसने तेरा नाम मोहब्बत रख दिया... प्यार... कभी महसूस किया है.....? अपने आप को खो कर सबकुछ पाने का अहसास ? यह सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि ज़िंदग़ी की वो सच्चाई है जिसे जानते हुए भी हम अनजान बने रहते हैं। आखिर क्यों मिलने से पहले जो प्यार ज़िंदग़ी के लिए ज़रूरत लगता है मिलने के बाद वही प्यार उसी ज़िंदग़ी के लिए घुटन बन जाता है.. आखिर क्यों... कभी-कभी हकीकत और सपनों के बीच की दूरी का अहसास ही नहीं होता.. क्यों प्यार सिर्फ प्यार ना रह कर पागलपन बन जाता है... और फिर यही पागलपन ज़िंदग़ी के लिए ऐसी सज़ा जहां ना तो ज़ख़्मों की गिनती हो सकती है और ना ही दर्द का हिसाब।       प्यार दोनों को बेशुमार था पर दुनिया के सामने ला पाना शायद दोनों को गवारा न हुआ , और आखिर वो रिश्ता कही गुमनामी में दब के दम घुट गया । उसे सोच के रोते रहना और किस्मत को गुनहगार कहना शायद ये मेरे लिए आसान था क्योंकि मैं ये मानना ही नहीं चाहता था कि मेरी भी कोई गलती होगी मुझे मैं सही लग रहा था , उसकी परवाह किए बगैर आखिर जब उसकी शादी का दिन नजदीक आ गया । तब मेरे...

समझोगी.. तुम भी समझोगी...

                                                                                                      वक़्त ऐसी चीज़ है वो सब कुछ सीखा देता है, इंसान बहुत मजबूत हो जाता है उस तन्हाई में जब उसे किसी की बहुत जरूरत हो और वो बिलकुल अकेला और तनहा हो, वो पल इंसान को पत्थर बना देता है | पर मेरी हर कोशिश नाकाम हो रही है जाने कौन सी मोह्हबत मैंने कर लिया तुमसे की ऐसी सजा मिल रही है ... बस जिंदगी एक ही कश्मकश में गुज़र रही है वो ये की कोशिश इतने वक़्त से सिर्फ एक सख्स को भुलाने की , और रोज की दुआ की ए खुदा वो मुझे फिर से मिल जाये -----                                                  आज तक है उसके लौट आने की उम्मीद,  ...

#arun_kumar_anand #arunkumaranand